कैफ़ी आज़मी को याद करते हुए मुखातिब ने महफ़िल ए मुशायरा रखा है.मुखातिब की कन्वेनर आयशा का कहना है की हम नए लोग हैं और नए ही लोगों के साथ अपने शहर के अदब को सम्भालने बढ़ने निकले हैं.इस प्रोग्राम में कैफ़ी की ज़िदगी पर बात होगी.उनके अदब पर बात होगी.बहुत से शोअरा अपना कलाम रखेंगे. २१ जनवरी को ह्प्तल लेवना में शाम पांच बजे उर्दू अदब के खिदमतगार mukhatib की छाँव में इकट्ठा होंगे और कैफ़ी को ताजियत पेश करेंगे.लखनऊ की तारीख में यह पहले भी होता रहा है मगर इस दौर में जब नौजवानों को अल्हड बेफिक्र होने के तमगे दिए जाते हों उस वक़्त इनका निकलना बहुत मायने खेज़ है.